इश्क़ बनाम शेयर मार्किट (व्यंग्य)

प्यार और  शेयर मार्किट में बस  इतना अंतर  है कि value correction के बाद शेयर  का भाव ऊपर जाने का चांस  तो रहता है, लेकिन प्यार में value  correction दुबारा वापस हो जाये ये केवल फिल्मों में ही सुना है! वैसे दोनों में समानतायें बहोत सी हैँ… जैसे कि दोनों कि शुरुआत जवानी में तंगी से होता है: एक आर्थिक तंगी से, और दूसरा मानसिक तंगी की वजह से… परेशान मिडिल क्लास का छोकरा शुरू तो कर लेता है, लेकिन जब तक रहस्य को समझ ही रहा होता है कि ये बेवफा निकल जाते हैं, कारण कि एक तरफ price नीचे गिरने लगता  है , तो दूसरे  तरफ  प्रेमी का भाव  बढ़ने लगता है! यकीन मानो तजुर्बा नहीं है तो वही सही समय है निकल लो…अगर तुम ये सोच रहे हो कि कुछ  समय बाद तुम्हारे टाइम या पैसे की अहमियत इन्हें समझ में आएगी और जब तुम बोलोगे की “अगर वो मुझसे प्यार करती है तो पलट कर देखेंगी”…और वो पलट जाएगी, तो हे महानुभाव ना तो तुम DDLJ वाले राज हो और ना ही SCAM 1992 वाले हर्षल मेहता… यकीन मानो इनको तुम्हारे टूटने का इंतजार बेशर्मी और  बेरहमी से हो रहा होता है!  खैर, मार्किट में जो तुम्हारा कटता है, कम से कम उसका हिसाब balance sheet में दिख तो जाता है… मगर इश्क़ में जब कटता है, कम्बख्त दिवालिया होने के बावजूद भी balance sheet में यादों वाला झुनझुना क्रेडिट नजर आता है! 

वैसे दोनों case में गलती हमारी ही होती है!अब इश्क़ हो या शेयर मार्किट, पहला प्यार तो सभी का जवानी में उछाल होने के कारण शुरू भी होता है और फ्लॉप भी हो जाती है!  टेक्निकल एक्सपर्टर्स का मानना है की history repeat का logic, और साथ में कंपनी की फंडमेन्टलस जब दोनों मजबूत हो तो ही हमें उस कंपनी पर long term के लिये भरोसा करना चाहिए, वरना उससे ज्यादा दिल्लगी लगाना हानिकारक साबित हो सकता है !… रही इश्क की बात तो वर्षो बाद जब वो एक बार फिर हल्की सी मुस्कुराहट देकर पास से गुजरती है तो उसकी fundamentals तो छोड़ो, हमें history repeat का भी ध्यान नहीं रहता, और एक बार फिर हम अपने दिल पर उसका नॉमिनेशन भर ही देते हैं, और नॉमिनेशन के terms and conditions तो शायद ही किसी को ना पता हो!

ऐसा नहीं है कि इसमें सभी का हाल ‘तेरे नाम’ के राधे की तरह ही होता है…मेरे कुछ ऐसे भी मित्रगण हैं, जिनकी लव स्टोरी हो या शेयर मार्किट, उनकी अच्छी खासी गोद भराई हुई है! हालांकि ये अपने अपने क्षेत्र के काफ़ी अनुभवी खिलाडी हैं,इसके बावजूद इनके भी दाँत दिखाने के और होतें हैं और खाने के और होतें हैं!

अब चाहे शेयर मार्किट हो या इश्क भौकाल तो दोनों में ही निब्बा-निबियों का रहता है!  ना कुछ खोने का डर ना ही कुछ पाने का डर… फिर भी हो-हल्ला में कोई कमी नहीं रहता! समान्यतः ये प्राणी 13 से 21 वर्ष के उम्र के बीच में पायी जाती है, लेकिन सर्वे की माने तो छापारिपन और उम्र में वही सम्बन्ध है जो की अर्जुन कपूर का एक्टिंग से है ! ऐसे प्राणी मुख्यतः तीन क्षेत्रों में ज्यादातर देखने को मिल जाते हैं:marketing, राजनीती और इश्क! इनमें से राजनीती के छपारियों के बारे में तो कहने को तो कुछ है नहीं क्यूंकि इनकी आधी जिंदगी ‘भैया से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ’ में ही निकलने में चली जाती है, और आधी अपने राजनीती का अनुभव बताने में!

रही बात मार्केटिंग और इश्क वालों की, तो ये भी कुछ कम नहीं होते हैं… इनकी नजर में हमेशा दो-चार पेन्नी स्टॉक्स दूसरों को गिनाने के लिये रहते ही रहते हैं, जिनके history repeat में काफ़ी अच्छा रिटर्न्स दिखा रहा होता है! हालांकि ज्यादातर केस में इन छपारियों के पास इन पेन्नी आइटम्स के नाम और नंबर के अलावा और कुछ नहीं होता, लेकिन ये बघारते ऐसे हैं की जैसे ये इन्हीं के ईशारे पर ही वो पेंनियाँ लटू की तरह नाचती हों! शुरुआत में तुम्हें भी इन छपारियों के लक को देखकर खुद पर काफ़ी तरस आएगा, लेकिन जैसे जैसे तुम शेयर/इश्क़ में परिपक्व होते जाओगे तुम्हें इन छपारियों के डिंके हाँकना  सुनने  में मानो मिर्जापुर वाले रति शंकर शुकला वाला डायलॉग लगने लगेगा !  जश्न मनाओ ये वो क्षण है जब तुम यक़ीनन शेयर मार्किट कहो या फिर इश्कबाज़ी करने के प्रोेढ़ता को प्राप्त कर चुके हो!हालांकि आप कितना भी परिपक्व हो जाओ, इन दोनों की मूड को समझ पाना आज भी रॉकेट साइंस बना हुआ है… ये कब और क्यों रूठ जाऐं इसका अनुमान लगाना भूकंप अनुमान लगाने से कुछ कम नहीं है!

शेयर मार्किट हो या इश्क़ हमें दोनों ही मामले में हाई वैल्यूड आइटम्स से दूर रहनी चाहिए… ये दूर के ढ़ोल सुहावने की तरह होते हैं, क्यूंकि ये जीतना ही जल्द हमारे इशारे पर लचकने मटकने हैं, उतने ही जल्द हमारे टोपी उछालने में देर नहीं करते, इनसे जितना भी फायदा मिले, लेकर निकल जाना ही बेहतर निर्णय है!

शेयर मार्किट में एक अन्य ग्रुप जो आती है, वो है ट्रेडिंग वाले… इनमें और इश्क़ के नाम पर डेटिंग करने वालों में कोई खास अंतर नहीं होता ! सबको लगता है कि ये हमेशा मालामाल ही होकर ही बाहर आते हैं… मगर सही मायने में यह उन्हें ही पता है कि एक  भोग पाने के लिये पता नहीं कितनो की मुँह की खानी पड़ती है!

कुल मिलजूलाकर conclusion ये है की चाहे इश्क़ हो या शेयर मार्किट कटना तो तय है… इसका मतलब ये नहीं की मैं इस क्षेत्र में आने के लिये वैधानिक चेतावनी दें रहा… नहीं…आपको जरूर डूबकी लगानी चाहिए, लेकिन बुद्धिमानी यह है की जब तक सब सही चल रहा है चलने दो, जब हवा का रुख बदले तो निकल लो… ज्यादा आशिकी दिखाने के चक्कर में उसपे कुछ ज्यादा ही लट्टू बने तो ठन ठन गोपाल हो जाओगे! वैसे भी सार्वभौमिक सत्य यही है ही कि इस जगत में तुम क्या लेकर आये थे, और क्या ही लेकर जाओगे? सब मोह माया है, एक झूठा जंजाल है…

– Pratyush Kumar

टिप्पणी करे