इस छोटे से सफर में

इस छोटे से सफर में तेरा साथ मिल गया,
पल भर ही सही तेरा हाथ मिल गया,
इन चंद लम्हो में ही तेरा इकरार मिल गया,
सपनों के शहर में मुझे मेरा प्यार मिल गया|

सपनों के शहर में टूट जाते हैं कुछ सपने,
और दुर हॊ जते है मुह बूले अपने,
इस कशिश मे जंदगी ने मुझे तुझसे मिला दिया,
सपनों के शहर ने तुझे अपना बना दिया|

जिंदगी भर तेरे साथ की उम्मीद ना मुझे,
इन धड़कनों की बेवफाई की इल्म है मुझे,
तेरे साथ गुजरे इन लम्हो में मुझे,
दिखता है जिंदगी भर का प्यार मुझे,
दिखता है जिंदगी भर का प्यार मुझे |

– Rudra Goswami

आखिर तू है कौन ?

मत कर इन आँखों पर इतना विश्वास, ये सच छुपाती हैं।
उस स्थिर सूर्य को हर रोज़ उगाती और डुबातीं हैं।।

तू जो कर रहा है और देख रहा है, उसे कराये कोई और।
पर, हर बार बेचारा मानव फस जाता, दो नयन इशारे की ओऱ।।

मन बुद्धि और अहंकार को, जो तू समझे है अपना।
ये तो तीन कठपुतलियां हैं उसकी, जिसका यह संसार है सपना।।
तु जो देख रहा है और जो कर रहा है , वो है एक अद्भुत माया।
उस माया का अंश रूप, तू है उसकी एक छाया।।

जिसे सँवारे तो अनमोल समझ कर, है पंच तत्व में मिल जाना।
इतना गुरूर न कर प्यारे, तुझको लौट कर है घर जाना।।

“अहं ब्रह्मा अस्मि” यें शब्द नही, सच्चाई है।
जो समझ सके इसे जितना, उतनी चेतना बढ़ पायी है।।

यह बस जन्म नही एक अवसर है, मुस्कुरा कर आनंद उठा।
जब समझ जाए है जाना कहाँ, उठ बोरिया बिस्तर और कदम बढ़ा।।

Harshit Agrawal

अंजान आशियाँ

हवाओं में बहकर तू लहरों में आया था,
फिर रेतों का किला हमने यादों से सजाया था,
कभी चमके थे हम रातों में इस तरह,
सूरज भी ज़मीं पर हमारा इस्तक़बाल करने आया था।

तुझे ख्वाबों को पकड़ कर चाँद तक जाना था,
अंजान ही सही पर तेरा कहीं और आशियाना था,
तू आदतों में गुम था, मुझे समंदर दिखता था,
मैं इस मिट्टी से बना एक रोज़ मुझे इस मिट्टी में समां जाना था।

तेरे बिन ज़िन्दगी की बस इतनी कहानी है,
गहराईयों के अंधेरों में ज़रा साफ़-सा पानी है,
न कभी समझा था तू, न कभी समझूंगा मैं,
चल अब चले,
तेरे संग गहरा उतरने की मेरी आदत पुरानी है।

– Divyansh Srivastava

इश्क़ बनाम शेयर मार्किट (व्यंग्य)

प्यार और  शेयर मार्किट में बस  इतना अंतर  है कि value correction के बाद शेयर  का भाव ऊपर जाने का चांस  तो रहता है, लेकिन प्यार में value  correction दुबारा वापस हो जाये ये केवल फिल्मों में ही सुना है! वैसे दोनों में समानतायें बहोत सी हैँ… जैसे कि दोनों कि शुरुआत जवानी में तंगी से होता है: एक आर्थिक तंगी से, और दूसरा मानसिक तंगी की वजह से… परेशान मिडिल क्लास का छोकरा शुरू तो कर लेता है, लेकिन जब तक रहस्य को समझ ही रहा होता है कि ये बेवफा निकल जाते हैं, कारण कि एक तरफ price नीचे गिरने लगता  है , तो दूसरे  तरफ  प्रेमी का भाव  बढ़ने लगता है! यकीन मानो तजुर्बा नहीं है तो वही सही समय है निकल लो…अगर तुम ये सोच रहे हो कि कुछ  समय बाद तुम्हारे टाइम या पैसे की अहमियत इन्हें समझ में आएगी और जब तुम बोलोगे की “अगर वो मुझसे प्यार करती है तो पलट कर देखेंगी”…और वो पलट जाएगी, तो हे महानुभाव ना तो तुम DDLJ वाले राज हो और ना ही SCAM 1992 वाले हर्षल मेहता… यकीन मानो इनको तुम्हारे टूटने का इंतजार बेशर्मी और  बेरहमी से हो रहा होता है!  खैर, मार्किट में जो तुम्हारा कटता है, कम से कम उसका हिसाब balance sheet में दिख तो जाता है… मगर इश्क़ में जब कटता है, कम्बख्त दिवालिया होने के बावजूद भी balance sheet में यादों वाला झुनझुना क्रेडिट नजर आता है! 

वैसे दोनों case में गलती हमारी ही होती है!अब इश्क़ हो या शेयर मार्किट, पहला प्यार तो सभी का जवानी में उछाल होने के कारण शुरू भी होता है और फ्लॉप भी हो जाती है!  टेक्निकल एक्सपर्टर्स का मानना है की history repeat का logic, और साथ में कंपनी की फंडमेन्टलस जब दोनों मजबूत हो तो ही हमें उस कंपनी पर long term के लिये भरोसा करना चाहिए, वरना उससे ज्यादा दिल्लगी लगाना हानिकारक साबित हो सकता है !… रही इश्क की बात तो वर्षो बाद जब वो एक बार फिर हल्की सी मुस्कुराहट देकर पास से गुजरती है तो उसकी fundamentals तो छोड़ो, हमें history repeat का भी ध्यान नहीं रहता, और एक बार फिर हम अपने दिल पर उसका नॉमिनेशन भर ही देते हैं, और नॉमिनेशन के terms and conditions तो शायद ही किसी को ना पता हो!

ऐसा नहीं है कि इसमें सभी का हाल ‘तेरे नाम’ के राधे की तरह ही होता है…मेरे कुछ ऐसे भी मित्रगण हैं, जिनकी लव स्टोरी हो या शेयर मार्किट, उनकी अच्छी खासी गोद भराई हुई है! हालांकि ये अपने अपने क्षेत्र के काफ़ी अनुभवी खिलाडी हैं,इसके बावजूद इनके भी दाँत दिखाने के और होतें हैं और खाने के और होतें हैं!

अब चाहे शेयर मार्किट हो या इश्क भौकाल तो दोनों में ही निब्बा-निबियों का रहता है!  ना कुछ खोने का डर ना ही कुछ पाने का डर… फिर भी हो-हल्ला में कोई कमी नहीं रहता! समान्यतः ये प्राणी 13 से 21 वर्ष के उम्र के बीच में पायी जाती है, लेकिन सर्वे की माने तो छापारिपन और उम्र में वही सम्बन्ध है जो की अर्जुन कपूर का एक्टिंग से है ! ऐसे प्राणी मुख्यतः तीन क्षेत्रों में ज्यादातर देखने को मिल जाते हैं:marketing, राजनीती और इश्क! इनमें से राजनीती के छपारियों के बारे में तो कहने को तो कुछ है नहीं क्यूंकि इनकी आधी जिंदगी ‘भैया से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ’ में ही निकलने में चली जाती है, और आधी अपने राजनीती का अनुभव बताने में!

रही बात मार्केटिंग और इश्क वालों की, तो ये भी कुछ कम नहीं होते हैं… इनकी नजर में हमेशा दो-चार पेन्नी स्टॉक्स दूसरों को गिनाने के लिये रहते ही रहते हैं, जिनके history repeat में काफ़ी अच्छा रिटर्न्स दिखा रहा होता है! हालांकि ज्यादातर केस में इन छपारियों के पास इन पेन्नी आइटम्स के नाम और नंबर के अलावा और कुछ नहीं होता, लेकिन ये बघारते ऐसे हैं की जैसे ये इन्हीं के ईशारे पर ही वो पेंनियाँ लटू की तरह नाचती हों! शुरुआत में तुम्हें भी इन छपारियों के लक को देखकर खुद पर काफ़ी तरस आएगा, लेकिन जैसे जैसे तुम शेयर/इश्क़ में परिपक्व होते जाओगे तुम्हें इन छपारियों के डिंके हाँकना  सुनने  में मानो मिर्जापुर वाले रति शंकर शुकला वाला डायलॉग लगने लगेगा !  जश्न मनाओ ये वो क्षण है जब तुम यक़ीनन शेयर मार्किट कहो या फिर इश्कबाज़ी करने के प्रोेढ़ता को प्राप्त कर चुके हो!हालांकि आप कितना भी परिपक्व हो जाओ, इन दोनों की मूड को समझ पाना आज भी रॉकेट साइंस बना हुआ है… ये कब और क्यों रूठ जाऐं इसका अनुमान लगाना भूकंप अनुमान लगाने से कुछ कम नहीं है!

शेयर मार्किट हो या इश्क़ हमें दोनों ही मामले में हाई वैल्यूड आइटम्स से दूर रहनी चाहिए… ये दूर के ढ़ोल सुहावने की तरह होते हैं, क्यूंकि ये जीतना ही जल्द हमारे इशारे पर लचकने मटकने हैं, उतने ही जल्द हमारे टोपी उछालने में देर नहीं करते, इनसे जितना भी फायदा मिले, लेकर निकल जाना ही बेहतर निर्णय है!

शेयर मार्किट में एक अन्य ग्रुप जो आती है, वो है ट्रेडिंग वाले… इनमें और इश्क़ के नाम पर डेटिंग करने वालों में कोई खास अंतर नहीं होता ! सबको लगता है कि ये हमेशा मालामाल ही होकर ही बाहर आते हैं… मगर सही मायने में यह उन्हें ही पता है कि एक  भोग पाने के लिये पता नहीं कितनो की मुँह की खानी पड़ती है!

कुल मिलजूलाकर conclusion ये है की चाहे इश्क़ हो या शेयर मार्किट कटना तो तय है… इसका मतलब ये नहीं की मैं इस क्षेत्र में आने के लिये वैधानिक चेतावनी दें रहा… नहीं…आपको जरूर डूबकी लगानी चाहिए, लेकिन बुद्धिमानी यह है की जब तक सब सही चल रहा है चलने दो, जब हवा का रुख बदले तो निकल लो… ज्यादा आशिकी दिखाने के चक्कर में उसपे कुछ ज्यादा ही लट्टू बने तो ठन ठन गोपाल हो जाओगे! वैसे भी सार्वभौमिक सत्य यही है ही कि इस जगत में तुम क्या लेकर आये थे, और क्या ही लेकर जाओगे? सब मोह माया है, एक झूठा जंजाल है…

– Pratyush Kumar

शांतता

पावसाची सरसर
उंच बदामाच्या पानांवरची थेंबांची टपटप
पन्हाळीतून पडणाऱ्या पाण्याची चुरचुर
वाहत्या पाण्याची खळखळ
कावळा राहून राहून कावकाव करतोय
एक छोटं पाखरू
टोकदार किलबिल करून अस्तित्व दाखवतंय

मग पंख्याचा संथ घुमजाव
खाली मेसमधे अंधूक काहीतरी थापलं जातंय
बारीकसा भांड्यांचा आवाज
कुणाच्यातरी रूमचा दरवाजा बंद झाला
दूरवरून बारीकसा बोलण्याचा कानोसा

पावसाचा जोर वाढतो तसा
तो बाकीचे आवाज लपेटून घेतो
पन्हाळीची चुरचुर धारदार होते
मग तिसऱ्याच एका पक्ष्याची तीव्र चिवचिव
पुन्हा पावसाचा जोर कमी होतो
हे असं अविरत

दूर आपापल्या कक्षेत
सगळे आवाज घुमत रहातात
एकही आपली कक्षा भेदायला येत नाही
सभ्यपणे उमटत-विरत राहतात
उत्तर मागायला येत नाहीत
शांतता म्हणजे दुसरं काय असतं?

Rushikesh Gawade

भारतीय दर्शनशास्त्र के कुछ तत्त्व

भारतीय दर्शनशास्र बड़ा प्राचीन है। इसकी शुरुआत वेदों के ऋषियों द्वारा पहली बार बताए जाने से होती है। भारतीय दर्शनशास्र बहुत बड़ा है जिसे 1 या 10 जीवन कालो मे भी जाना नहीं जा सकता। भारतीय दर्शनशास्र में वैसे तो कहीं विषयों पर चर्चा तथा बेहेस हुई है, परन्तु कुछ विषय भारतीय संस्कृति के 5 से 12 हजार सालों मे निरंतर उठते रहे है।

पहला विषय है आत्म को जानना तथा दृष्टि में लाना। आज के पीढ़ी के आत्मकेंद्रित लोगों के पसंद का तथा उनके वैश्विक नजरिए को तब्दील कर देने वाला विषय है।

दूसरा विषय है दु:ख, वैसे तो यह संस्कृत का एक तकनीकी शब्द है जिसके अनेक संदर्भ मे अलग अलग अर्थ मिलता है, वैदिक संस्कृत में दिए गए शब्द सिखा समझने पर इसके अन्य संदर्भों में प्रयोग होने पर सरलता से समझा जा सकता है। सुख का अर्थ है – एक धुरा छेद जिस वजह से बेल गाड़ी सफर पर तेजी या आसानी से दौड़ सके, इसका दूसरा अर्थ है (good standing) अस्तित्व की अच्छी अवस्था या स्तिथि। सुख को यादी दु:ख का विपरीत अर्थी माना जाए तो शब्द का भाव स्पष्ट दिखता है। भारतीय दर्शनों मे दुख के कारणों तथा उसके उपचार पर गहरा विचार हुआ है। आज के डिप्रेशन या स्ट्रेस जैसी तमाम अनदेखी चीजों से निपटने के लिए एक उत्तम विचार मिलता है।

तीसरा विषय है मुक्ति (सरलता के लिए निर्वाण, मोक्ष, भोड, अपावर्गा, केवल्य को समानार्थी जानकर इस शब्द से विवरण किया जाएगा)। मुक्ति का अर्थ है – एक मानव के जीवन के दुखो का अंत, जन्म तथा मरण तथा जीवन में पीड़ा (मानसिक तथा शारीरिक) देने वाले इनसानी बुरी आदतों के चक्रों से मुक्ति, अविद्य तथा अज्ञान का अंत, ईश्वर की प्राप्ति तथा उनके साथ एक ताल/लेहर मे होना, जीवन के सबसे श्रेष्ठ फल की प्राप्ति, ब्रह्म (संसार के सबसे श्रेष्ठ तथा मौलिक) ज्ञान की प्राप्ति, ईश्वर को जानना तथा द्रष्टि में आना, संसार तथा प्रकृति के साथ एक भाव में होना इत्यादि। भारतीय दर्शन में यह छर बड़े पुरुषार्थों मे से एक है (अन्य तीन है धर्म, अर्थ, काम) और मुक्ति पाने के चार मार्ग है – कर्मयोग, ज्ञानयोग, भक्तियोग, राजयोग। 

– Aditya Singh Bais

दूसरी मोहब्बत

मोहब्बत की राह में फिर से चल रहा हूं,
इसलिए अकेला महसूस कर रहा हूं।

फिर से ठुकराएं जाने से डर रहा हूं,
फिर भी कोशिश कर रहा हूं।।

नैया पार लग जाए मेरी,
यह उम्मीद कर रहा हूं।

जोड़ी तो ऊपरवाला बनाता हैं,
मगर अपनी जोड़ी मैं खुद बनाने की मशक्कत कर रहा हूं।।

ज़िंदगी की कशमकश में भी,
तेरा इंतज़ार कर रहा हूं।

काली घटा गुजर चुकी है,
अब नई ज़िंदगी का आगाज़ कर रहा हूं।।

अब दिल खोल के फिर से हंस रहा हूं,
तूने ऐसा क्या जादू कर दिया,
प्यार के काबिल मैं फिर से बन रहा हूं।

आज कल सपने भी तेरे ही देख रहा हूं,
और उन सपनों को हकीकत बनाने की देख- रेख कर रहा हूं।।

तेरी “हां” मैं अपनी “हां” मिला रहा हूं,
इस बंजर खेत की ज़मीन में,,
मैं फिर से मोहब्बत की फसल खिला रहा हूं।।

~मोहम्मद हंज़ला अंसारी

मोहब्बत की राह में फिर से चल रहा हूं,इसलिए अकेला मेहसूस कर रहा हूं।फिर से ठुकराएं जाने से डर रहा हूं,फिर भी कोशिश कर रहा हूं।।नैया पार लग जाए मेरी,यह उम्मीद कर रहा हूं।जोड़ी तो ऊपर वाले बनाता हैं,मगर अपनी जोड़ी में खुद बनाने की मशक्कत कर रहा हूं।।ज़िंदगी की कशमकश में भी, तेरा इंतज़ार कर रहा हूं।काली घटा गुजर चुकी है,अब नई ज़िंदगी का आगाज़ कर रहा हूं।।अब दिल खोल के फिर से हस रहा हूं,तूने ऐसा क्या जादू कर दिया,प्यार के काबिल मैं फिर से बन रहा हूं।आज कल सपने भी तेरे ही देख रहा हूं,और उन सपनों को हकीकत बनाने की देख- रेख कर रहा हूं।।तेरी “हां” मैं अपनी “हां” मिला रहा हूं,इस बंजर खेत की ज़मीन में,मैं फिर से मोहब्बत की फसल खिला रहा हूं।।~मोहम्मद हंज़ला अंसारी

न्याय की स्याही

देखो, जो बात कहने से तुम हिचकिचा रहे हो,
वो बात सच है।
और जिस सच से तुम दुनिया को छिपा रहे हो,
उसपर सबका हक है।

अगर आज डर गए,
तो कायर तो कहलाओगे ही।
और जो खुद के साथ विश्वासघात किया है,
उसे भूल पाओगे नही।

प्राणों की रक्षा के लिए ये तो सोचा ही होगा,
यह ख्याल तो आया ही होगा
कि चुप रहने में ही भलाई है।
पर तनिक यह तो सोचो
इतना खून, इतनी मेहनत
क्या इसी क्षण के लिए लगाई है?

और जो हिम्मत जुटा ली
तो यह न सोच लेना,
इस गलतफहमी में न रहना
कि विजय तुम्हारे द्वार चलके आई है।
अरे मूर्ख, तुझे रोकने, तुझे लड़ने के लिए,
हजारों की सेना भी तो आई है।

फिर भी सत्य तो सत्य है
धर्म का पल्ला भारी है।
इसलिए डर मत, बोल डाल,
क्या पता यही न्याय की स्याही है।

पूरी दुनिया की नजरें तेरी ओर हैं,
हर एक व्यक्ति श्रोता है।
तुझे देखने,
तेरे मुंह से निकले हर शब्द को सुनने के लिए,
देख एक जनसैलाब उठ आई है।

ऋणी तो तू हर उस व्यक्ति का है,
जो अपने मृत्यु से क्षण भर भी दूर है।
इसलिए डर मत, बोल डाल,
क्या पता यही न्याय की स्याही है।

~ Ayushman Choudhary

രാവും പകലും

നാം നമ്മിൽ നിന്ന് അകലുകയാണ്
നമ്മൾ പോലും അറിയാതെ
ഓരോ നിമിഷവും നമ്മൾ രഹസ്യമായി നോക്കുകയാണ്
നമുക്ക് സംസാരിക്കാനാകുന്നില്ല,
കാരണം,
നമുക്ക് രണ്ട് പേർക്കും ഒരേ ഭാഷയാണ്.
എങ്കിലും ആ നിഖൂഢത വ്യത്യസ്തപെടുത്തു,
നമ്മളെ.
എനിക്ക് വെളിച്ചം പകരാനെത്തുന്ന നീ
എന്നിൽ നിന്ന് അകലുകയാണ്
എനിക്കും എന്റെ നിഖൂഢതക്കും ഇടയിലാണ് നീ.
എല്ലാത്തിനുമുപരി,
ഞാനീ ലോകത്ത് തിരയുന്നത് നിന്നെയാണ്.
നിഗൂഢതയിൽ നിന്ന് നിഗൂഢതയിലേക്ക്
എന്താണ് പറയേണ്ടത്?
ഞാനെന്നും നിന്നെ തിരഞ്ഞലയുന്നു
ഒരിക്കലും കണ്ടെത്താനകില്ലെന്നറിഞ്ഞിട്ടും.

Transliteration:

Raavum pakalum

Naam nammalil ninnum akalukayaan
nammal polum ariyaathe
oro nimishavum nammal rahasyamaayi nokkukayaan
namukk samsaarikkaanaakunnilla,
kaaranam
namukk rand perkkum ore bhaashayaan
enkilum aa nikhoodatha vyathyasthapeduthunnu,
nammale.
Enikk velicham pakaraanethunna nee
ennil ninnum akalukayaan
Enikkum ente nikhoodathaykkum idayilaan nee.
Ellaathinumupari,
Njaanee lokath thirayunnath ninneyaan.
Nikhoodathayil ninnum nikhoodathayilekk
endhaan parayendath?
Njaanennum ninne thiranjalayunnu
orikkalum kandethaanaakillennarinjittum

Translation:

Day and Moonlit Night

As the days drift into nights…
We drift apart from each other a little further, a little longer.
We speak the same language.. our hearts have the same rhythm.
Yet why is there a loss of words? I wish I knew.
You were my firefly. That little light in the darkest night..
Now look at me.. left alone under starless skies and hopeless nights.
The darkness doesn’t scare me.
I swear I wouldn’t back off.
I will search you in the dark..
I will look for you in the crowds..
Perhaps we will never meet…
But I will forever live in search of you..
Along those paths we once walked together

-Lansi Latheef