इंतज़ार मत करो …

वो काफी खूबसूरत थी ।

वो काफी खूबसूरत थी,
दिल के पास थी,
इंतज़ार था,
फिर तनहा सी रात थी ।

एक शाम सा होता है,
सूरज ढल रहा होता है,
रात आने वाली होती है,
अँधेरा पास होने लगता है,
इंतज़ार मत करो ।

बातों में कड़वाहट हो,
दिलों में रंजिश हो,
पर एक कली खिल रही हो,
खिलने दो, नक़्श मिटा दो ।
इंतज़ार मत करो ।

वो आएगा फिर ।

वो आएगा फिर,
तुम साथ बैठोगे फिर,
वो हँसना मुस्कुराना होगा,
वो लड़ना झगड़ना होगा,
वो दोस्ती की बातें होंगी,
इज़हार का बहाना होगा ।
इज़हार कर दो ।
इंतज़ार मत करो ।

झिझक होगी, डर होगा,
सोच होगी, मंज़र होगा,
बिगड़ने का खतरा होगा,
पर सुनहरा सपना होगा,
ज़िक्र करने का दिल होगा,
कह देने का वक़्त होगा ।
कह दो ।
इंतज़ार मत करो ।

वो चला जायेगा ।

वो चला जायेगा,
वो वक़्त रहेगा, वो ख़ास रहेगा,
तुम तन्हा रहोगे जब वो पास रहेगा,
तुम एक रहोगे, वो चार रहेगा,
तुम नदी किनारे, वो पार रहेगा,
इश्क़ रहेगा, वो प्यार रहेगा,
तुम शेर लिखोगे, वो बेकार रहेगा,
तुम ख़ुश्क़ रहोगे, वो गुलज़ार रहेगा,
तुम ख़ामोश रहे, पर वो गुनहग़ार रहेगा ।
वो गुनहग़ार नहीं थी ।
वो खूबसूरत थी,
दिल के पास थी,
इंतज़ार था,
फिर तन्हा रात थी ।

कह दो ।

इंतज़ार मत करो ।

— रॉनी मंडल

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